कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: पुतिन ने पश्चिमी दबाव के खिलाफ दिखाई एकता की तस्वीर
अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बीच पुतिन का शक्तिशाली कदम
यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने व्लादिमीर पुतिन को अलग-थलग करने का प्रयास किया है। आर्थिक प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था पर चोट की जा रही है, और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी है। फिर भी, पुतिन इस सप्ताह कज़ान में 20 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों के स्वागत के साथ अपनी कूटनीतिक शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं।
ब्रिक्स के वैश्विक मंच पर रूस की प्रमुख भूमिका
कज़ान में आयोजित इस ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन जैसे प्रमुख नेता शामिल हो रहे हैं। ब्रिक्स, जो ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह है, अब विस्तार कर अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं जैसे मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को भी जोड़ रहा है।
रूस के लिए प्रतिबंधों से राहत की उम्मीद
इस शिखर सम्मेलन में पुतिन की प्राथमिकता पश्चिमी प्रतिबंधों से निपटने के लिए ब्रिक्स देशों को डॉलर के बजाय वैकल्पिक भुगतान प्रणाली अपनाने के लिए राजी करना होगी। अमेरिकी डॉलर की वैश्विक व्यापार में प्रमुखता से रूस को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, और अब पुतिन एक नई आर्थिक व्यवस्था की दिशा में सहयोग की तलाश में हैं।
ब्रिक्स देशों के बीच मतभेदों के बावजूद एकता का प्रयास
हालांकि ब्रिक्स देशों में कई मतभेद हैं – विशेष रूप से चीन और भारत के बीच – पुतिन का उद्देश्य इन मतभेदों को दरकिनार करते हुए एकता का संदेश देना है। इसके साथ ही, वे यह दिखाना चाहते हैं कि रूस वैश्विक स्तर पर अलग-थलग नहीं है, बल्कि उसके पास मजबूत सहयोगी हैं।
वैश्विक नई व्यवस्था की ओर कदम या केवल एक शो?
जहां रूस “नए विश्व क्रम” की बात कर रहा है, वहीं ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों की प्राथमिकताएं भिन्न हैं। भारत जैसे देश पश्चिमी देशों के साथ अच्छे राजनीतिक और आर्थिक संबंध बनाए रखना चाहते हैं। इसके अलावा, ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों के बीच भी ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता है। पुतिन के लिए असली चुनौती इन आंतरिक मतभेदों को कम करके एकता का प्रदर्शन करना है।
पुतिन का कज़ान शिखर सम्मेलन: रूस की वैश्विक पहचान की पुनर्स्थापना
कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पुतिन के लिए यह साबित करने का एक मंच है कि रूस पश्चिमी दबाव के बावजूद वैश्विक कूटनीति में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। यह शिखर सम्मेलन रूस को अलग-थलग करने के प्रयासों को विफल करने का प्रतीक बन सकता है, जबकि पुतिन अपने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों को दिखा सकते हैं कि उनका देश वैश्विक परिदृश्य में अब भी महत्वपूर्ण है।