रूस में उत्तर कोरियाई सैनिकों की मौजूदगी: क्या मास्को और प्योंगयांग की सैन्य साझेदारी नई वैश्विक चुनौतियां खड़ी कर रही है?
सैटेलाइट इमेजरी में उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती का दावा
दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया सेवा द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरों में दावा किया गया है कि रूस के प्रिमोर्स्की क्राय और खाबारोवस्क में उत्तर कोरियाई (DPRK) सैनिकों की तैनाती देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, ब्लागोवेशचेंस्क में भी उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती की जा रही है।
किम जोंग-उन की निगरानी में हुआ विशेष प्रशिक्षण
उत्तर कोरियाई सैनिकों को रूस भेजने से पहले, उत्तर कोरिया में विशेष प्रशिक्षण दिया गया था। किम जोंग-उन की निजी निगरानी में हुए इस प्रशिक्षण में सैनिकों को रूसी सैन्य उपकरणों और रणनीतियों के अनुरूप ढाला गया।
प्रारंभिक तैनाती और संभावित विस्तार
अक्टूबर 16 को लिए गए सैटेलाइट चित्रों में दावा किया गया है कि लगभग 400 उत्तर कोरियाई सैनिकों को उस्सुरियस्क के एक सैन्य अड्डे पर देखा गया, जबकि खाबारोवस्क के एक अन्य सैन्य अड्डे पर लगभग 240 सैनिक प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रारंभिक तैनाती में 1,500 विशेष बलों के सैनिकों को रूस भेजा गया है, और अगले चरणों में यह संख्या 12,000 तक पहुँच सकती है।
रूस-उत्तर कोरिया साझेदारी के संभावित प्रभाव
अगर DPRK सैनिकों की तैनाती का दावा सही साबित होता है, तो रूस की यह रणनीतिक साझेदारी वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव ला सकती है। यह कदम रूस के यूक्रेन संघर्ष को लेकर पश्चिमी देशों और नाटो के हस्तक्षेप के खिलाफ एक बड़ा कदम हो सकता है।
गैर-लड़ाकू भूमिका में DPRK सैनिकों की तैनाती
रूस संभवतः DPRK सैनिकों को गैर-लड़ाकू भूमिका में तैनात कर सकता है, जिससे उसके अपने सैनिकों को युद्धक्षेत्र में तैनात करने का मौका मिलेगा। यह तैनाती रूस को अपनी सैन्य शक्ति को कम किए बिना यूक्रेन संघर्ष को जारी रखने की अनुमति देगी।
दीर्घकालिक प्रशिक्षण और रणनीतिक समन्वय
DPRK सैनिकों के लिए रूस में दीर्घकालिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी ताकि वे रूसी सैन्य रणनीतियों और आधुनिक युद्ध तकनीकों में दक्ष हो सकें। इसमें भाषा, संचार प्रणाली, और जटिल युद्ध तकनीकों का गहन प्रशिक्षण शामिल होगा।
कोई तात्कालिक उकसावा नहीं, लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव संभव
हालांकि वर्तमान में यह कदम उकसावे वाला नहीं दिखता, लेकिन DPRK सैनिकों की तैनाती रूस की दीर्घकालिक सैन्य रणनीति का हिस्सा हो सकती है। इससे रूस अपने सीमांत सुरक्षा को मजबूत बनाए रखते हुए यूक्रेन में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकेगा।
1971 के भारत-सोवियत मित्रता समझौते की याद दिलाती साझेदारी
रूस और उत्तर कोरिया की यह साझेदारी 1971 में भारत और सोवियत संघ के बीच हुए उस मित्रता समझौते की तरह है, जो चीन और अमेरिका के हस्तक्षेप को रोकने के लिए किया गया था। यह समझौता नाटो हस्तक्षेप को रोकने की एक रणनीतिक चाल हो सकती है।
यह साझेदारी आने वाले दिनों में वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल सकती है, जिससे यूक्रेन संघर्ष और अधिक जटिल हो सकता है।