रचिन रवींद्र की बल्लेबाजी ने बनाया उन्हें क्रिकेट का नया सितारा
रचिन रवींद्र की बल्लेबाजी: सीखने की भूख और समस्या सुलझाने की क्षमता ने बनाया उन्हें क्रिकेट का नया सितारा
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“अगर आप रचिन [रवींद्र] को 10 साल पुराने वीडियो भी दिखाएं, तो भी वह उसे बड़े ध्यान से देखेंगे,” यह कहना है श्रीराम कृष्णमूर्ति का, जिन्होंने रचिन रवींद्र के साथ तब से काम किया है जब वह वेलिंगटन में अंडर-19 टीम के लिए खेलते थे। वर्तमान में रचिन रवींद्र की गिनती दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में की जा रही है और उनकी सीखने की क्षमता और बल्लेबाजी में निपुणता के बारे में उनके कोच के पास कई कहानियां हैं।
शुरुआत से ही मजबूत नींव
श्रीराम कृष्णमूर्ति ने रचिन रवींद्र को 15 साल की उम्र से कोचिंग दी है। वे चेन्नई सुपर किंग्स एकेडमी में भी रचिन के साथ थे, जब न्यूज़ीलैंड की टीम भारत दौरे पर आई थी। बेंगलुरु में हुए टेस्ट में रचिन ने 134 और 38* की शानदार पारियां खेली, खासतौर पर स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ उनकी बल्लेबाजी ने सबका ध्यान खींचा। श्रीराम का कहना है, “रचिन को बल्लेबाजी से इतना प्यार है कि वह अभ्यास से उतना ही आनंद लेते हैं जितना मैच से।”
बेंगलुरु टेस्ट में रचिन की विशेषता
बेंगलुरु में रचिन की बल्लेबाजी की खासियत यह थी कि उन्होंने मुश्किल स्पिनर्स को भी आराम से खेला। रवींद्र जडेजा, कुलदीप यादव और रविचंद्रन अश्विन जैसे दिग्गज गेंदबाजों के खिलाफ उनकी रणनीति साफ थी। श्रीराम बताते हैं कि बल्लेबाजी की ट्रेनिंग में रचिन ने हमेशा से क्रिएटिव अप्रोच अपनाया है। “हम बस पिच पर सही पोजीशन पर खड़े होने की बात करते हैं, जो उन्हें रन बनाने में मदद करती है।”
स्पिन के खिलाफ आत्मविश्वास
रचिन को स्पिन के खिलाफ उनकी बल्लेबाजी के लिए लगातार तारीफ मिल रही है। यहां तक कि कुलदीप यादव और रोहित शर्मा ने भी उनकी बल्लेबाजी की सराहना की। कुलदीप ने मजाक में कहा, “मैं बस उम्मीद करता हूं कि वह आगे के मैचों में इतना अच्छा प्रदर्शन न करें,” जबकि रोहित शर्मा ने कहा, “रचिन ने हमारे स्पिनर्स के खिलाफ बहुत अच्छी बल्लेबाजी की, उन्होंने अपने नेचुरल गेम को खेलने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई।”
बल्लेबाजी का समस्या-समाधान दृष्टिकोण
श्रीराम बताते हैं कि रचिन की सबसे बड़ी खासियत उनकी समस्या सुलझाने की क्षमता है। जब रचिन बल्लेबाजी करते हैं, तो वह केवल अपने शॉट्स पर ध्यान नहीं देते, बल्कि गेंदबाज की रणनीति को पढ़कर अपने शॉट्स प्लान करते हैं। “पिच पर खड़े होने की गहराई, कहां स्टंप पर खड़ा होना है और कौन से शॉट्स खेलने हैं, ये सभी चीजें उनके खेल को विस्तार देती हैं।”
आगे की चुनौतियाँ
रचिन को पुणे और मुंबई में भारतीय स्पिनर्स के खिलाफ और भी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन बेंगलुरु में जिस तरह से उन्होंने अपने खेल का प्रदर्शन किया, उससे यह साफ हो गया है कि वह केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के युवा बल्लेबाजों के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं।