बेतेलजूस के रहस्यमय चमकने और मंद होने का कारण
बेतेलजूस के रहस्यमय चमकने और मंद होने का कारण: क्या है ‘बेटलबड्डी’?
नई खोज ने उलट दी बेतेलजूस के सुपरनोवा विस्फोट की अटकलें
हाल ही में किए गए एक शोध ने रात के आकाश के सबसे चमकीले तारों में से एक, बेतेलजूस के बारे में एक चौंकाने वाली खोज उजागर की है। जहां पहले यह माना जा रहा था कि यह तारा जल्द ही सुपरनोवा विस्फोट करेगा, वहीं अब एक नए अध्ययन के अनुसार इसके रहस्यमय चमकने और मंद होने का कारण एक अदृश्य साथी तारे की मौजूदगी हो सकती है।
‘बेटलबड्डी’ का पता: एक साथी तारे की खोज
फ्लैटआयरन इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर कम्प्यूटेशनल एस्ट्रोफिज़िक्स के खगोलभौतिकीविद् जेरेड गोल्डबर्ग और उनके सहयोगियों ने प्रस्तावित किया है कि बेतेलजूस का एक साथी तारा है, जिसे उन्होंने ‘बेटलबड्डी’ नाम दिया है। उनके शोध के अनुसार, यह साथी तारा बेतेलजूस के चारों ओर की धूल को हटाते हुए एक “कॉस्मिक स्नोप्लो” की तरह कार्य करता है, जिससे बेतेलजूस की चमक अस्थायी रूप से बढ़ जाती है।
तारे की चमक के रहस्य से पर्दा
बेतेलजूस, जो हमारे सूर्य से करीब 1,00,000 गुना अधिक चमकीला है, दो अलग-अलग धड़कनों वाले चक्र दिखाता है: एक छोटा चक्र जो लगभग एक साल का है, और एक लंबा छह साल का चक्र। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि यह लंबा चक्र, जिसे ‘लॉन्ग सेकंडरी पीरियड’ कहा जाता है, संभवतः बेतेलबड्डी की कक्षीय गति से उत्पन्न होता है, जो बेतेलजूस के चारों ओर की धूल में हलचल मचाता है।
क्या है बेटलबड्डी की प्रकृति?
हालांकि बेतेलबड्डी की सही प्रकृति अभी तक ज्ञात नहीं है, शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह तारा हमारे सूर्य के द्रव्यमान से दो गुना तक हो सकता है। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि यह एक न्यूट्रॉन तारा हो सकता है, हालांकि इस सिद्धांत को एक्स-रे अवलोकनों से समर्थन नहीं मिला है।
सुपरनोवा पर नया दृष्टिकोण
यह खोज बेतेलजूस के जीवन चक्र और इसके संभावित सुपरनोवा विस्फोट को लेकर पहले की धारणाओं को चुनौती देती है। साथ ही यह तारा प्रणाली की जटिलता और खगोल भौतिकी में जारी रहस्यों पर प्रकाश डालती है।
शोधकर्ता अब बेटलबड्डी के अस्तित्व की पुष्टि के लिए और अधिक अवलोकन करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें 6 दिसंबर के आसपास इसकी संभावित दृश्यता के संकेत मिल सकते हैं।
यह अध्ययन न केवल एक प्रसिद्ध तारे पर नई जानकारी प्रदान करता है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे अंतःविषय अनुसंधान ब्रह्मांड की हमारी समझ को आगे बढ़ा सकता है।